आष्टा से राजीव गुप्ता की रिपोर्ट
🔸शनिवार रात 11:00 बजे महाकालेश्वर मंदिर से बाबा महाकाल पालकी में सवार होकर गोपाल मंदिर पहुंचे यहां पर मध्य रात्रि 12:00 बजे सृष्टि कर पुनः हरि को सोपा,,,,🔸
🚩इस दौरान रात्रि 10:00 बजे से ही बड़ी संख्या में गोपाल मंदिर के बाहर श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरू हो गया था,जैसे ही बाबा महाकाल की सवारी गोपाल मंदिर पहुंची, जय जय महाकाल और गोपाल कृष्ण भगवान की जयकारों से पूरा गोपाल मंदिर क्षेत्र गूंजायमान हो उठा,,,🔸
🚩दरअसल मान्यता अनुसार बैकुंठ चतुर्दशी को हरि(भगवान विष्णु) 4 मास की विश्राम अवधि के बाद चिर निद्रा से जागते हैं जो की देव शयनी ग्यारस पर भगवान विष्णु का शयन कल शुरू हो जाता है इस समय से हर(भगवान शिव)सृष्टि का संचालन और भार संभालते हैं पुनः जब भगवान विष्णु जागृत अवस्था में आते हैं तो शिव भगवान विष्णु को यह संचालन उनके हाथ में सौंप कर अपने धाम लौट जाते हैं,,इसी परंपरा को निभाते हुए हरिहर मिलन होता है 🔸मान्यता है देवलोक में भी इस प्रकार का आदान-प्रदान होता है इस परंपरा को भू लोक पर खासकर उज्जैन में भी निर्वाह किया जाता है,,