रिपोर्ट राजीव गुप्ता आष्टा जिला सीहोर मध्य प्रदेश

धर्म सुनने -सुनाने व पढ़ने का नहीं बल्कि अनुशरण करने का –मुनि सागर महाराज
आष्टा।ऋतुओं में बदलाव होता है,उसी प्रकार संत का भी आना-जाना लगा रहता है। पूर्ण विराम लगने से आवागमन बंद हो जाता है। निर्ग्रंथ के साथ स्वतःही ग्रंथ मय हुआ करते हैं। मुनिश्री की प्रत्येक चर्या स्वाध्यायमय रहती है।अभीष्ट ज्ञान युक्त होते हैं साधु। बीमार होने पर संबंधित डॉक्टर के पास जाते हैं।हमारा उद्देश्य अपने में आना और अपने मार्ग पर चलना है।हम पंथवाद में नहीं पढ़ते।धर्म सुनने -सुनाने व पढ़ने का नहीं बल्कि अनुशरण करने का है।भाव शुद्धि जरूरी है। जीवन से संत नहीं श्रावक है,संत जैसे कार्य कर सकते हैं।त्रस पर्याय हैं।वे निर्ग्रन्थ नहीं बन सकते हैं।देव देवाकार है,पुरुषाकार नहीं।

पुरुष पर्याय में आकर अपना लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं। पुरुष पर्याय पवन और पावन है, जहां से हम मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं। उक्त बातें नगर के श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर पर मुनिश्री भूतबलि सागर महाराज एवं मुनि सागर महाराज ने आशीष वचन देते हुए कहीं। मुनिश्री ने कहा कि नापुंसक व महिला की नामी पर्याय है। पुरुष पर्याय पवन और पावन है। पर्याय के विरुद्ध कार्य न करें। भगवान का शरीर गल जाता है, लेकिन नख और केश नहीं गलते यह काफी कठोर है।इसे इंद्र आदि जलाते हैं। महाराज जी आए हैं नई रोशनी लाएं हैं।इसे समझना चाहिए। मुनि सागर महाराज ने कहा उपदेश उपदेश होते हैं, आदेश नहीं। हमारे 28 गुण,पंच महाव्रत हैं और उसका हम पालन करते हैं।हम चातुर्मास के दौरान बाल उखाड़ते नहीं है। चातुर्मास के बाद बाल उखाड़ते है। समय किसी का स्थाई नहीं होता मुगलों, अंग्रेजों का भी नहीं रहा। पूर्वजों को कम पढ़ाई के बाद भी अनुभव अधिक था। सालभर में कम से कम तीन – चार बार मुंडन बच्चे से लेकर वृद्ध तक को कराना चाहिए।काला अक्षर भैंस बराबर। आपने कहा अहिंसा और स्वच्छता का ध्यान नहीं, पड़ोसी का ध्यान रख रहे हैं। अपने जीवन में स्वाध्याय को उतारे।नरक में जाने की तैयारी कर रहे हैं लोग। सीता जैसी बनें, महिला पर्याय बदलना है तो धर्म के पथ पर चले।कम पढ़े, लेकिन अच्छा पड़े। संस्कृति से विरत होते जा रहे हैं। करेला और नीम चढ़ा।आप सभी में प्रवचन सुनने के बाद परिवर्तन होना चाहिए। संतों का सानिध्य मिलने से पापों का क्षय होता है। भगवान की मुद्रा देखकर अपना कल्याण करें। भगवान की पूजा अर्चना व अभिषेक की भावना देखकर करने से अधिक पुण्य अर्जन कर सकते हैं ।सास- बहू आउट हो रही है। सिद्ध बनने का काम करें।संत अलग- अलग आएंगे विषय एक ही रहेगा। मुनिश्री के प्रवचन नित्य सुबह 8.45 से 9.30 तक होंगे।

