रिपोर्ट राजीव गुप्ता आष्टा जिला सीहोर एमपी
आष्टा। जिस मेहनत से आज का युवा तु भाग रहा है। वही मेहनत कल तुझे सफलता दिलाएगी। झोक दे खुद को इस आग में यही आग तुझे हीरा बनाएगी। आप अपना भविष्य तो नहीं बदल सकते, लेकिन अपनी बुरी आदतें बदल सकते हैं। और निश्चित रूप से आपकी अच्छी आदतें आपका भविष्य बदल देगी। किसी संत ने कहा है। आदत अपनी सुधार लो बस हो गया भजन, मन की तरंगे मार लो, बस हो गया भजन।
ऊक्त सारगर्भित उदगार सोमवंशीय सहस्त्रार्जुन क्षत्रिय समाज मंदिर परिसर में चल रही सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के छठवें दिन भागवत भूषण संत श्री मिट्ठूपुरा सरकार द्वारा व्यक्त किए गए। पिपलोदिया परिवार द्वारा महाराज श्री का शाल श्रीफल और संपूर्ण अंग वस्त्र देकर सम्मान किया।आगे संत श्री द्वारा बताया की आज का व्यक्ति परिश्रम से बचकर शॉर्टकट अपनाना चाहता है। और जल्दी से जल्दी धनवान बनना चाहता है। और इसी कारण कई बार कुचक्र में फंस जाता है। और कुसंग के कारण अपना जीवन दुष्कर बना लेता है।
इसमें और किसी का दोष नहीं, स्वयं का दोष है। शास्त्र भी कहता है। भगवान कभी किसी को सुख दुख नहीं देते, सब अपने कर्मों का फल भोगते हैं। काहु ना कौउ सुख-दुख कर दाता। निज कृत कर्म भोग सब भ्राता। भगवान तो एक जज की तरह हैं। जज के सामने जैसी फाइल आती है। उसी के आधार पर फैसला करता हैं। मजिस्ट्रेट का किसी से राग द्वेष नहीं होता। ऐसे ही भगवान को भी किसी से कोई भेद नहीं होता।
इसके अलावा संत श्री द्वारा भागवत की अन्य कथा मैं बताया कि, भगवान श्री कृष्ण ने द्वारिकापुरी को अपनी राजधानी बनाया। और यहीं पर बड़े भैया बलरामजी का विवाह रोहिणी जी के साथ संपन्न हुआ। और इसके बाद भगवान श्री कृष्ण का प्रथम विवाह विदर्भ देश के राजा भीष्मक की बेटी रुक्मणी जी के साथ हुआ। इसके अलावा भगवान के 16107 विवाह और हुए। और भगवान के प्रत्येक रानी से 10 पुत्र और एक पुत्री का जन्म हुआ। इतना बड़ा परिवार होने के बाद भी भगवान अनंत रूप में सभी रानियां के साथ सुख पूर्वक रहते थे। इसके बाद बड़े ही धूमधाम से भगवान का विवाह संपन्न हुआ।
मंगल विवाह गीत गाए । जिस पर सारे श्रोताओं ने भाव विभोर हो का नृत्य किया। खत्री समाज महिला मंडल द्वारा भी महाराज श्री का शाल, श्रीफल, साफा नगद दक्षिणा भेंठकर स्वागत किया। कल कथा विसर्जन पर शोभा यात्रा निकाली जाएगी। आज कथा श्रवण हेतु महेंद्र सिंह इंजीनियर, रूपेश राठौर, पवन नामदेव, माखन सिंह बगड़ावदा,कृपाल सिंह सरपंच,जीवन सिंह ठाकुर, देश चंद बोहरा, विष्णु विश्वकर्मा, भागवत मेवाड़ा, सोनू निगम, जेपी सोनी, महेंद्र सिंह ठाकुर, जुगल किशोर राठौर, सहित बड़ी संख्या में कथा प्रेमी जन पधारे। और कथा का रसपान किया।