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भारत की सांस्कृतिक विरासत अक्षुण्ण, इसका संरक्षण हमारा दायित्व। कैलाश परमार

रिपोर्ट राजीव गुप्ता आष्टा जिला सीहोर एमपी

आष्टा:- हमारे देश की सदियों पुरानी सांस्कृतिक विरासत अक्षुण्ण हैं। भारत की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण का दायित्व हमारा एवं आने वाली पीढ़ियो का हैं। मानवीय सभ्यता का विकास यह दर्शाता हैं कि भारत की अनेको वर्ष पुरानी संस्कृति ने ही मानव सभ्यता को विकसित किया हैं। भगवान राम का अवतार सदियों से हमें मर्यादित जीवन का मार्ग प्रशस्त करता हैं, वही रावण के अहंकार का कैसे पतन हुआ, यह हमें विजयादशमी का महान पर्व बतलाता हैं। मानव सभ्यता एवं भारत की पुरातन संस्कृति एक दूसरे की पूरक हैं।

भारत के तीज एवं त्यौहार एक उत्साहपूर्ण जीवन शैली जीने का संदेश देते हैं। भारत उत्सवो का देश हैं, जहां पग पग पर उत्सव हैं। हमारा दायित्व हैं कि हम महान संस्कृति का संरक्षण करे तथा त्यौहारो को बढ़ चढकर मनाऐं। यदि हम हमारी महानतम् संस्कृति को विस्मृत करते जाऐंगे तो आने वाली पीढ़ियो को हमारी विरासतपूर्ण संस्कृति का अविस्मृय हो जाऐगा। उक्त आशय के उद्गार पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष कैलाश परमार ने विजयादशमी उत्सव समिति आष्टा के नव निर्वाचित अध्यक्ष एवं अन्य सदस्यो का सम्मान करते हुए व्यक्त किए।

इस अवसर पर विजयादशमी उत्सव समिति के नवनियुक्त अध्यक्ष हरेन्द्र सिंह ठाकुर मायसेम का साफा बांधकर सम्मान किया तथा उन्हे हर्षोल्लास के साथ विजयादशमी पर्व मनाने की अग्रिम बधाई दी। इस अवसर पर अधिवक्ता सुरेन्द्र परमार, पूर्व अध्यक्ष विजयादशमी उत्सव समिति आष्टा सतीष मुकाती, योगी सक्सेना, पारस पुरी, प्रतीक महाडिक, गोलू पुरी, महेन्द्र ठाकुर, लक्की देशलहरा आदि मौजूद थे।

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