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बजरंग सेना परिवार, आष्टा द्वारा राजेंद्रसिंह ठाकुर, मुरावर, प्रदेश अध्यक्ष बजरंग सेना के नेतृत्व में भागवत कथा का आयोजन

रिपोर्ट राजीव गुप्ता आष्टा जिला सीहोर एमपी

सेना परिवार द्वारा सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया गया।

कथा के दूसरे दिन परम भागवत कथा मर्मज्ञ संत श्री मिट्ठू पुरा सरकार ने अपने प्रवचनों में भक्तिभाव का महत्व बताते हुए कहा कि लोभ, काम, अहंकार और क्रोध से ग्रस्त व्यक्ति भगवान की भक्ति नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि भक्ति का मार्ग कठिनाइयों से भरा है और इसमें केवल बिरले ही सफलता पाते हैं।संत श्री ने उदाहरण देते हुए बताया कि भक्ति के मार्ग पर सीता माता की खोज में 18 पदम वानर गए थे, लेकिन मंजिल केवल हनुमान जी को ही मिली। उन्होंने नारद जी के पूर्वजन्म की कथा, सुखदेव महाराज के जन्म की कथा, भक्ति, ज्ञान और वैराग्य, आत्मदेव-धुंधकारी और गोकर्ण महाराज के प्रसंगों को सरल और प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया। इन कथाओं को सुनकर श्रोता भाव-विभोर हो गए।कार्यक्रम के दौरान संत श्री ने बजरंग सेना के संकल्पों पर जोर दिया

:1. गौ माता को राष्ट्र माता का दर्जा मिले।

2. भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाए।

3. हिंदू समाज से जाति-पाति का अंत हो और समरसता का भाव विकसित हो।

श्रोताओं ने इन संकल्पों को हाथ खड़े कर दोहराया। आयोजन के अंत में प्रसाद वितरण किया गया, और कई गणमान्य व्यक्तियों एवं बड़ी संख्या में महिलाओं ने कार्यक्रम में उपस्थिति दर्ज कराई।

उपरोक्त बहुत ही प्रेरक विचार बजरंग सेना परिवार द्वारा नया दशहरा मैदान में आयोजित सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन परम भागवत कथा मर्मज्ञ संत श्री मिट्ठू पुरा सरकार द्वारा व्यक्त किए गए। गौ माता को राष्ट्र माता का दर्जा मिले, भारत हिंदू राष्ट्र घोषित हो। हिंदू समाज में जाति पाति का अंत हो, समरसता का भाव हो। जाति पाती की करो विदाई।

हिंदू हिंदू भाई-भाई। सभी श्रोताओं ने हाथ खड़े कर इस संकल्प को दोहराया। प्रसाद श्री लखन परमार की ओर से वितरण किया गया ।

इस अवसर पर रघुनाथ सिंह मालवीय, डॉक्टर मीना सिंगी, कृपाल सिंह पटाडा, अजय मितवाल, धीरज सिंह पटेल, योगेंद्र सिंह हाटपिपल्या ,राजेंद्र सिंह पटेल,संगीता शुक्ला , गिरजा कुशवाहा, नेहा राजपूत, मंजू श्री राठौर,रघुनंदन शर्मा,नरेंद्र भाटी, जुगल मालवी, मनोहर जायसवाल, जगदीश खत्री, विश्राम सिंह ठाकुर, अनिल यादव नारायण सिंह आचार्य, सहित बड़ी संख्या में मात्र शक्तियों की उपस्थिति रही

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