रिपोर्ट राजीव गुप्ता आष्टा जिला सीहोर एमपी
आष्टा । वर्षों पुरानी सांस्कृतिक परंपरा का निर्वहन करते हुए ग्राम खडीहाट में तीज उत्सव का आयोजन ग्रामीण रीति रिवाज अनुसार किया गया ।

मान्यता अनुसार तृतीया तिथि को उपवास रखकर महिलाएं पूजा करती है भजन कीर्तन के साथ तीज की प्रतिमा को सिर पर रख कर ग्राम में भ्रमण कराया जाता है । लगभग 25 किलो वजनी तीज की मूर्ति को सिर पर रखकर पारंपरिक नृत्य महिलाओं द्वारा किया जाता है । इस वर्ष अलग-अलग मोहल्ले से 8 मूर्तियां बनाई गई थी । चतुर्थी के दिन शंकर मंदिर के पास हर्षोल्लास के साथ भजन कीर्तन करते हुए तीज दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया । जिसमे आठ प्रतिभागी महिलाओं द्वारा हिस्सा लिया गया । श्रीमती सुनीता यादव ने प्रथम स्थान हासिल किया । ग्राम के सरपंच श्री मनोहर सिंह पटेल एवं उनके सहयोगियों द्वारा सभी प्रतिभागी महिलाओं को उचित पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया गया ग्राम में उक्त परंपरा लगभग 100 वर्षों से ग्राम में प्रचलित है ।

कड़ी गर्मी के बाद मानसून का स्वागत करने के लिए लोगों द्वारा कजरी तीज मनाई जाती है। कजरी तीज पूरे साल मनाए जाने वाले तीन तीज त्योहारों में से एक है। अखा और हरियाली तीज की तरह भक्त कजरी तीज के लिए विशेष तयारी करते हैं। इस दिन देवी पारवती की पूजा करना शुभ माना जाता है।

कजरी तीज हर साल भाद्रपद या भादो महीने में कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है. कजरी तीज को बूढ़ी तीज, कजली तीज, सातुड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि कजरी तीज के दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. पारिवारिक जीवन सुखमय हो जाता है.


