रिपोर्ट राजीव गुप्ता आष्टा जिला सीहोर एमपी

आष्टा।भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव पर कोई कोर कसर न रह जाये इसके लिए नगर के श्रीकृष्ण मंदिरों सहित अन्य मंदिरों में मंदिर प्रबंधन सभी तैयारियों को अंतिम रूप देने में लगा हुआ हैं । 26 अगस्त को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व नगर सहित समूचे क्षेत्र में हर्षोल्लास के साथ मनाया जायेगा। नगर के गंज मोहल्ला में स्थित श्रीजगदीश्वर धाम राधाकृष्ण मंदिर में जन्माष्टमी से पूर्व विभिन्न संस्कार प्रारंभ कर दिए गए है ,जो जन्माष्टमी के बाद भागवत सप्ताह पूर्ण होने तक चलते है।

मंदिर पर आकर्षक विद्युत रोशनी भी की गई है। कान्हा जी संवत्सर अनुसार पहनेंगे मोतियों से अलंकृत आकर्षक पोशाक।नगर पुरोहित परिवार ने बताया की इस जन्माष्टमी के अवसर पर भगवान श्री कृष्ण जी को संवत्सर अनुसार आकर्षक पहनाई जाने वाली पोशाक तैयार करा कर उसके विभिन्न धार्मिक संस्कार प्रारंभ हो चुके है। भगवान की मनमोहक पोशाक को इस बार भगवान के जन्मोत्सव पर 26 अगस्त जन्माष्टमी पर उनको धारण कराया जाएगा ।

संवत्सर के आधार पर पहनाई जाती पोशाक नगर पुरोहित पं मयूर पाठक ने बताया की विगत सात पीढ़ियों से परंपरानुसार जन्माष्टमी से पूर्व विभिन्न संस्कारों के साथ यह पर्व प्रारंभ हो जाता है।श्री जगदीश्वर धाम में हिंदू संवत्सर नाम के आधार पर पोशाक धारण कराई जाती हैं।इस वर्ष 2081 पिंगज संवत्सर का नाम है इसलिए इस वर्ष कान्हा जी की अहमदाबाद से लाई गई नवीन पोशाक संवत्सर के अनुसार आकर्षक स्वरूप की भगवान धारण करेंगे। जिसमें विभिन्न रंगों का समावेश कर मोतियों को अलंकृत किया गया है। जिसके पीछे उद्देश्य है कि सम्पूर्ण संवत्सर नगर के लिए वैभवशाली हो।

पोशाक के संस्कार अंतिम दौर मेंपंडित मनीष पाठक ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण को पहनाई जाने वाली पोशाक के संस्कार अंतिम दौर में है। वस्त्र जुलाहा संस्कार, विश्वकर्मा संस्कार,मोर पंख संस्कार,सप्ततीर्थ जल संस्कार आदि कार्य संपन्न कर दश दिग्पाल के संरक्षण में पोशाक का मंत्र जाप किया जा रहा है, जो जन्माष्टमी पर पूर्ण होगा। पोशाक आकर्षक लगे इसका भी विशेष ध्यान रखा गया हैं । पोशाक के साथ -साथ गर्भगृह में लगने वाले वस्त्रों व वस्तुओं पर बने फूल पत्ती, मोर आदि का भी ध्यान रखा गया है। सफेद तिल्ली से होगा अभिषेक पं डा दीपेश पाठक ने बताया कि श्री जगदीश्वर धाम में प्रतिवर्ष अलग-अलग साधनों से भगवान श्री लड्डू गोपाल का भक्ति भाव से महाअभिषेक किया जाता है। इस वर्ष सफेद तिल से भगवान श्री बाल गोपाल का अभिषेक किया जाएगा। तिल की उत्पत्ति भगवान विष्णु से हुई हैं। तिल को मोक्ष की प्राप्ति के स्वरूप में माना जाता है,अति वैभवशील हैं। लक्ष्मी के विभिन्न स्वरूपों में से महालक्ष्मी का स्वरूप सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।

किसी की जन्म कुंडली में ग्रहदोष या कार्य की रूकावटे निर्मित हो रही है तो वह तिल से अभिषेक कर इन संकटों से मुक्ति प्राप्त कर सकता है। जो श्रीकृष्ण कृपा से आनंद एवं वैभवशीलता प्राप्ति के लिए सफेद तिल से अभिषेक किया जाएगा। साथ ही पंचमेवा,तुलसी दल का अर्चन भी होगा। रात को ठीक 12 बजे बाद आरती के उपरांत आम भक्तों को सिद्ध सफेद तिल वितरित की जाएंगी।

